चालै पून

सरण-सरण

उडै रेत

फरण-फरण

छोटो-सो

तिणकलो

रोकै

उडती रेत नैं

थोड़ी-सी रेत

थम जावै

पण

कांई?

बणग्यो बठै

टिबड़ियो

सिंझ्या तांई।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी 'दीपक' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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