गुलामी री सल्लाड्या सूं निसर’र

सुतंत्रता री सरिता बहावणिया,

म्हारा भारत रा गणतंत्र

थनै म्हारो राम-राम।

बरसां ताईं भागीरथी री धार में

जमुना सुरसत रे भाँत मिलती

न्यारी निरवाळी संस्कृतियां ने

गंगा बणावणियां

म्हारा भारत रा गणतंत्र

थनै म्हारो राम-राम।

जात पाँत अर धर्म कर्म,

पूजा नवाज अर अरदास नें

समता रो कुम्भ बणावणियां

म्हारा भारत रा गणतंत्र

थनै म्हारो राम-राम।

आधी सदी री उमर में

सदियां रा इतिहास ने

आपणा हिवड़ा में भर

नूवां भारत में नूवों समाज सिरजणियां

म्हारा गणतंत्र थनै म्हारो राम-राम।

आज नूवीं सदी रा

कंकू पगलिया थारै आंगणै उभरै

म्हारा सपना थारै ह्वेता कींकर बिखरै

सपना ने सांचो करणीया

म्हारा भारत रा गणतंत्र

थनै म्हारो राम-राम।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : नंदकिशोर चतुर्वेदी ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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