चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
आई बरबादी आंख्यां खोल द्यो!!
दिन धोळां धाड़ा पड़ै रै, हां रै मरदां, चालै चोर बाजार।
भरै तजौरी पाप की, कोई, लूटै साहूकार॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
बदहजमी सूं सेठ मरै रै, हां रै, भाई, भूखा मरै मजूर।
करसो मरज्या नंगो भूखो, हरिजन चकनाचूर॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
गांवड़ा का खून सूं रै, हां रै मरदां! सहर रंग्या भरपूर।
गढ़—हेल्यां की नींव तळै कोई, सर फोड़ै मजदूर॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
बाण्यां रोवै ब्याज नै रै, हां रै, भाई! दात्री रोवै सीस।
बामण रोवै दान—दक्षणा, वकील रोवै फीस॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
सेठ जी की दूंद सूं रै, हां रै मरदां! हाथी भी सरमावै।
सेठाणी कै आगै सांची, भगतण भी सरमावै॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
वकीलां की फूंक सूं रै, हां रै मरदां! घर—घर लागी आग।
बळै गांवड़ा, बळै सहर भी, बळै देस का भाग॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
छत्री डूब्या सराब में रै, हां रै मरदां, बाण्यां बणग्या डाकी।
सहूकार तो चोर बणग्या, धरम बचै क्यूं बाकी॥
चेतो रे, अब तो मरदांओ! मरदांओ रै!!
आई बरबादी आंख्यां खोल द्यो!!
स्रोत
  • पोथी : हाड़ौती के प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी | स्वतंत्रता संग्राम गीतांजली ,
  • सिरजक : मांगीलाल निरंजन ,
  • संपादक : सज्जन पोसवाल / मनोहर प्रभाकर ,
  • प्रकाशक : राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति, जयपुर / राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, जयपुर (राज.)
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