अेका-अेक हाकौ गूंजै कांनां में

अंतस में रम्मत सरू व्है

अेक फालौ

फूटै अर भरीजै

(बायोड़ा बीज तौ फूटैला इज)

म्हैं

अदीठ नै अंवेरतौ रैयौ

इण अलख-जातरा में

पावंडा-पावंडा

तुटतौ रैयौ माया-जाळ

लोग

छिपावै प्रीत पर पीड़

पर भळे तरसै बतळावरण नै

छटपटीजै

पण कदै भरीजै तीणां वाळौ मटकौ

इण जातरा रै बीच

रोजीना रोजी अर रोटी

अधैपण में बीतै उमर आखी

उमर

जाणै कुड़क व्हैती जमी

जाणे गोफण सू बेमतळब छटियोड़ी भाटी

जाणे बतूळिये में फंसियोड़ो तिणकलौ

अदीठ में भटकण रै बावजूद

दीठ में आवै

दुकानां कसायां री

लटकता हाथ, पग, घांटी अर धड़

च्यारू'मेर बिकतौ ताजौ मांस

के दीखै मिंदर, धरमगढ़

निवता हाथ, पग, घांटी पर धड़

अठै, मिनखां रै साथै

कसाई चढावै परसाद टकै रौ।

राजी करै भगवान नै

फैरू मानता मान, बोलवां बोलै

हदां तूटी लाज री अठै

सिणगारी री सैजां रा मोल हुया

बिकता रैया हाथ, पग, घांटी पर धड़

मुधरी मारक मुळकती रैयी रात

कंवळी फूल कुमळावतो रैयौ

आज दीठ दायरे में आवै

घणकरी रम्मतां, कितराई खेल

अथाग मानखौ

दीखै रुखाळां बिच्चै घिरियोड़ौ

लाज छिपावतो

तड़ांग नागौ मिनखपणौ।

स्रोत
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा