मिनख अर मौत

आघौ घणो आघौ

नदी-नाळां-परवतां रै पार

कोई भाड़ैत सिपाई

गोळी चलाई

देसभगत माथै

अर घाव म्हारे काळजे पड़ियो।

केई कोसां आंतर

म्हारै मुलक में

कठैई कोई भूख सूं मरियो

म्हैं, अेक जीवन जीवणै रै वास्तै

उण बगत मरियौ

फेर मरियो

फेर

फेरूं फेर मरियौ।

स्रोत
  • पोथी : झळ ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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