मौत सूं डर तद ताणी लागै

जद ताणी हुवै है वा दूर

अणजाण अणदेखी

आदमी पसीनै सूं अळाडोब हुज्यै

मौत रो नाम सुण'र

पण मौत जद आवै है साम्हीं

आंख्या च्यार हुवै जद आदमी री मौत सूं

तो डर नीं लागै

दुनिया री सगळी लंबाई चौड़ाई भेळी होय'नै

अेक छिण मांय निकळज्यै आंख्यां आगैकर

अर आदमी

मारै है सिसकारो

आंख्यां हुज्यै मोटी

जाणै छिनेक मांय देख लियो हुवै सो'कीं

अर

रुकज्यै है सांस, निकळज्यै पून

उडज्यै पंछी आपरी ठोड़।

स्रोत
  • सिरजक : अनिल अबूझ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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