मूँ मरीया पुटे भी

लाकड़ा नी वसत करूँगां

मारी लाश नै

कइयाक

नागा डूँगरा ना खोरा में

डाटी दिजो

बीजा जनम में

रूँखडू बणी ने

उगी जाऊँगां

धरम नी धांधली में पड़ी नै

मारी लाश नै

बारजू नकै

नी तो बीजा जनम में

भूत बणी ने

तोफान मसाऊँगां।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : भागवत कुन्दन ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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