नेहचो कर लीजै

आवण सूं पैली

म्हैं बुरियो जावूंला

कै बाळ्यौ जावूं

म्हारै हुवणै री

साख भरीजै

थूं हरमेस ठगीजै

पसर जावै

बेसुरी हुवती

थारी मुळक

बळती जावै

च्यारूंमेर

मौत

थारी खिमता

कदैई राख सूं बेसी नीं हीं

थनै जीवण री छूट नीं है

थारी डौर कठै

म्हारो वजूद म्हैं खुद जाणूं

हड़बड़ाहट मांय नीं हूं

जीत री घोषणा करूं

डर नीं है

आवण सूं पैली

थारै मरण रो अैलान है।

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र जोशी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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