हाकाहूक री हाट माथै बैठ
नित सुरजी नै बेच आपरी नींद
आखी-आखी रात जागै मिनख।
सोवण रौ सांग करै
घड़ै में कूंची भर्यां पछै
पाड़ौसी ने जगावण री कैवै।
ऊगै दिन
चाय उबास्यां पसवाड़ा
छेवट हड़बड़ा' र फेंकै पछेवड़ौ
फाटी-फाटी आख्यां सूं निरखै
सांप री छतरयां दांईं
छाती ऊगी टाबरां री टोळी नै
काच में मूंडौ
सवाल-जबाब अपणै आप सूं
हाथ-मूंडा तौ धौया हा कालै
ठंड में नित न्हांरणौ ठीक नीं
वीयां ईं जुखांम होयोड़ौ।
तौ ई आफिस जावण में
आध घंटै रो मौड़ौ
कांईं व्है
साब तो खुद ई लेट आवै भोड़ौ।