मायड़ कैवै बेटी नैं

मत आवजै लाडो थूं इण देस

चीड़ी कमेड़ी बणाय दीजै ईसर

मत बणाजै बेटी

घोर कळजुग आवियो इळा माथै राम

घर में नीं सुरक्षित बेटी आपणी आज

जद रक्षक भक्षक बण जावै तो

कठै अर किण सूं फरियाद करै बेटी

जलम देवाळ बाप भक लेवै तो

किण रो विस्वास करै बेटी

नारी जूण री जात्रां दोरी घणीज

कोय ना समझ बात

जलम लेवै जद घर में बेटी

मातम छावै अणमाप

सुत सुता में अंतर राखै घर पिरवार

नी मांगै कदैयी कीं मुख आपरौ खौल बेटी

जैड़ो मिल जावै उणनै स्वीकार करै बेटी

सगळा कैवै हांती री धणयाणी हुवै बेटी

नी हुवै पांती री हकदार बेटी

इण बात री गिणनै गांठ लगावै बेटी

हाथ सूं घर आळा जकौ दैवै

उण में ईज सबूरी कर लेवै बेटी

काम काज में मायड़ रो हाथ बटांवै बेटी

तो दरद मिलै उणनैं अणमाप

जद मोटी हुय जावै तो

खटकै घणी नैणा में सगळां रै बेटी

काळ चढनै रक्षक रै माथै

जद तांडव करै राकस

हवस रा लोभी भूखा भेड़िया री

बळि चढ़ जावै बेटी

क्यूं भक लैवै रक्षक?

क्यूं लजावै कुळ नैं?

छोटी-छोटी चिड़कलियां रो

बाळपणौ चिकदावै निरलज्ज

कांई कसूर हुवै उणां रो?

लाजां मरती किणी नैं नीं बताय सकै बेटी

रोज-रोज मरणां सूं बेहतर

आत्मघात कर जावै बेटी

जद रक्षक भक्षक बण जावै तौ

किण नै अर कांई फरियाद करै बेटी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : रेनू सिरोया ‘कुमुदिनी’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान
जुड़्योड़ा विसै