जठै बेटा बेटी में व्हेवै फरक

उठै ईज छै नरक

वो ईज छै नरक

बेटी रै बीज रा बैरी मां बाप

राकसाई रा रूप

पेट में ईज बीज नैं निरबीज करण रा जतन कर

आपरै वंश रै बधापा रा कळाप करै

पाप रा काम में पईसा लगाय

पुन्याई पसरावण रा जतन करै

बेटी व्हेवै नीं

बेटी रैवै नीं

बेटी जनमै नीं

जे कीकर जनम जावै

तौ सगा मां पेट में फरक रा बीज वावै

टाबरां नैं ईज सिखावै

पीढियाँ सूं ईज पौसाळ पढावै

जद ईज तौ पीढी पीढी सूं चालतौ आवै

बेटी पर करियोड़ा खरच रौ लाभ आगला नैं मिलै

बेटा पर करियोड़ौ खरच घर में रैवै

मूळ में भेद रा भरम रौ चसमौ चढायां दुनियां नैं देखै

सोच री लींगटी री डोर पकड़ियां

पीढी पीढी में पौचावता आया

बेटी रै बीज रा बैरी मां बाप

पीढी पीढी वगत री भांय काटता तोई नीं व्हिया काया

बेटी पर व्हेवा वाळा खरच में कटौती कर

तिल तिल राई राई ज्यूं संच'र

सूंपै इण ईज सोच रै साथै आपरा सपूत नैं

सिरफ इण ईज गैलसफाई रा लोभ री

लाळ रा टपका पटकता

इणसूं वंश री वेल बधसी

मूरखताई रा महारथी

वंश री वेल बधावा री पुखता तजवीज

कुदरत कर राखी छै

नर नारी रा बीज बणाय

स्रिस्टी री संरचणा रा सराजाम कीधा

कुदरत नैं काच बतावा री कौशीश करै

झूठा सुख अर दुख री कलपना कर

बेटा रै जनम पर थाळी बजावै

बेटी रै जनम पर छाजळा (सूप)बजावै

सब मां रूपी दादी करावै

सुख-दुख तौ जीव आपरा करमां सूं पावै

तौ जणै आपरै पाप रा भारा क्यूँ बधावै?

जद बेटा बेटा व्हेवै

बुढापा में जद आपरै वायोड़ी फसल रा लाटा आवै

तद मन में नीं मावै

जद समझ में आवै

तौ माथौ धुणावै

पिस्तावा री पांणत करतौ निसासा नांखतौ

मन री मन नैं सुंणावै

कोई नैं कैय नीं पावै

कोई कनै नीं आवै

जे बेटी व्हेती तौ आय म्हनैं बतळावै

पण जका वावै

खेत रा लाटा में वा ईज फसल आवै।

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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