मोठां होठां स्वाद, कोठां काठा कुलछणा

खेत किसाणा खाद, लाध मुरधरा लाभ री॥1

दाय पकौड़ी दाळ, भुजिया बड़ा वणावणै

चालणियां सूं चाळ, मोगर मोठां मानखैं॥2

बेसण कढ्ढी बाण, कोठा भंजण भागबळ

मिस्सी माखण माण, मोठां रोटां माठ में॥3

कनक कवां के काच, रतन हजारी राचधर

जनक जसां री जांच, मोठां अन्न उदार मन॥4

मोठां खीचड़ माथ, माथा देणा मानवी

पंथ पैंड दो साथ, हाथा देवै हरखता॥5

कोठ करै अरड़ाट, भुरज भखारी सै भरी

हद लख्खारी हाट, मोठां लाखां मुठ्ठिया॥6

माळण कूंजड़ियां, बागां सागां सांभती

ढिग ढाळ्या पड़िया, मुकळाई मोठां मजा॥7

करसां कोसागार, मोठां खळा खिंडाविया

लबरा डूम लुहार, माँटी कढिया माँगणै॥8

खड़ब खँखेरण खूब, चारो होवै चौगणो

डगरा मोठां डूब, ऊब अळकतां ढोवणा॥9

गूणो डाँखळ गाह, फळ्यां फळगटी फुरळकां

मोठ कढै पण माह, घरां सात घालै वसत॥10

भल मुरधर रा मोठ, ठोठ नाँव जाणै नहीं

गाँवां थांरी गोठ, ओठ अमीरां ऊबरै॥11

भूरै गेहूँ भाँत, सोणो मुरधर सांतरो

लगा चिणारै लात, मोठ मातकर मातबर॥12

वाज मूँगां वड वीर, सबळ सुधानां सांतरो

केई नाज कथीर, मोठ मुदामुख मुरधरा॥13

मोठां भुजिया माण, चसिया दीप दिसावरां

विड़द बोत बीकाण, खाण सार खुलकां सिरै॥14

तळां चीलड़ा तेल, मळां मोकळा दाळिया

खळां रूँसियां खेल, मौजां माणा मोठधन॥15

काचरियां पुळ पेळ, मोठेड़्याँ तरकारियां

मांडा मूंढा सेळ, खेतां लबरक खांवतां॥16

भल मोठेड़्याँ भेळ, काचर कोड रळावढो

माता सावद मेळ, तीखो छमको तेल बिन॥17

डोळणियां सूं डोळ, मोठ छाँट छुळकै फटक

कबजै करल्यै कोळ, ऊँदर ठांव उघाड़ कर॥18

भेळो कर भंडार, चोरां चाट्या चूसिया

बीज हवै बेकार, मोठ मलेछां मूसियां॥19

खाय खड़ा होवां, मोठां थारै म्हा मनां

जोवां कद जोवां, मकी जवार मजाल के?॥20

जठर ज्वाळ री भेंट, उदर पूरणी ऊरमा

परखत परचो पेट, म्हारै मगरा मोठधन॥21

मोठां बाजर मेळ, करां भेळिया भावणा

गिरणां डोवै घेळ, रात उन्नाळै राबड़ी॥22

पापड़ वड़ी वणाय, करण कुरगचो कोरवों

कोरड़ छाँट छणाय, विरध सुधारां मोठ सूं॥23

ठेसण गाडी ठाम, बड़ा सूडसर में बिकै

नेड़ो अळगो नाम, जबर कमायो झ्याँन में॥24

दही-दाळियां माठ, मोगर चब्बीणी चलै

हा आनै रा आठ, मोठां काठ मुरधरां॥25

पूरब लेखां पाठ, मोठां रा अन-धन मिल्या

नवळो नाज निराठ, बरकत बांगर बीज में॥26

हरख वाँसियै हाथ, हाळी मेलै हेत सूं

मोठां नै मन माथ, नेम निंवाँवै बीजतो॥27

गाजै रेतां गोट, लाजै छोला लारनै

दीसै खेतां दोट, मोठां मधरी पवन सूं॥28

काठी वगै कतार, छाटी लाठी घाल लद

ऊँटां भीड़ अपार, लार पड़ै मोठां मिनख॥29

है म्हारै म्हादेव, अन्न-देवता ओपणा

मोठ मांगळी मेव, काळां कदे कोपणा॥30

साळां सीधो राँध, सांधा सेवा साधणै

मोठ बाग़ळी बाँध, बाँटण पटोळ बाकळा॥31

चूण खिंडावण चेत, देवां देवी देवरां

कर कबूतरां हेत, मोठां मुठ्ठी पींजरां॥32

के बामण रजपूत, जाम वाणिया वरण सै

मोठ वरद वभरूत, खावण मंगळ नाज मन॥33

मंगळ कामां मौज, मोठां कारण माणता

मूंघाई रै: रोज, काठ वापरी इण बखत॥34

लरळ पड़ै मूं’ ल्याळ, भूजिया पापड़ जोंवतां

कोढ़ खाज ज्यूं काळ, मोठां मूंघाई रळी॥35

बड़ी पकौड़ी बाण, खाण खरूंदो मन मुड़ै

जिनवै मूंघा जाण, मोठ होठ ना नाँवल्यां॥36

छपकै मोगर छाप, तळण चरपरा चीलड़ा

धन थोड़ै मन धाप, मोठ प्रसादी-रूप, रळ॥37

वधै बाळवा भोत, बिच बिच स्याणी फळकली

के कुदरत रो तोत?, मोठां डोडाळी लगै॥38

पक झिरमिरिया पान, मोठ मठोठी खाय जड़

काढ़ै वग्गर कान, फळी डंकोळी डांगसी॥39

जाट जमारो जोख, वरतारै ओळख अजस

मोठ उपावण मोख, दोख दळद्दर भवतरण॥40

स्रोत
  • पोथी : दस दात ,
  • सिरजक : साहित्य महोपाध्याय नानूराम संस्कर्ता ,
  • प्रकाशक : लोक साहित्य प्रतिष्ठान, कालू-बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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