सोणै वदन सरूप, मोर मनां हरखण मिलण
भल मरुधर खग भूप, केकी कल केका करण॥1
मरुधर मनहर मोर, बन माँझी बोतल मधुर
चंचळ चलाक चोर, चित-भमंग भरमाय भख॥2
कामण आगळ काय, न्रप कायर कळपत नचै
छतरी पाँखां छाय, मोर छबीलो छैल मद॥3
दुनियाँ रूँखां दोट, हरियाळी नजरां हरख
गैरा लीला गोट, मोरां बिन माड़ा वणै॥4
सीधो सरब सभाव, वन साँपां वैरी सजग
कामण नृत्य निभाव, बादळ मोर वैंडीजणो॥5
आयां बादळ आभ, छातां छावत छोळ छिब
लचकण गरदन लाभ, मघवा मन मंच मोरियो॥6
चिड़ियाखानै चहक, गहक गिरां सिर सोवणो
मोर मरुधरां महक, लहक लजँतू लीलधर॥7
गौरी आगैं गूंज, मोर रंग मन राचणै
खाली केकण खूंज, पाँख नाख परबत नमण॥8
सरवो कानां साव, मीठै मुख बोलण वगण
पा:ड़ां रोपण पाव, गाँव सुणा केका गुणा॥9
मोर लाडला मा:ल, बीज चाब अर बोरिया
चट जंगळ मुड़ चाल, पाँखां देय पधारजे॥10
ऊंडी मोर अडीक, चुग्गो नाखां चाव कर
लीलाकंठ री लीक, साँप सजण गण सूरवै॥11
हुळको वण हरसाल, पाँख झाड़ परियां झिलण
लुळ माईरा लाल, नारी आगैं मोर निंव॥12
मरवण करणो माण, मोर कठै सूं सीखियो
जात नार री जाण, काण गिणाई गरू॥13
ढेबुड़ी बहू ढेल, खेल करण गुण खाभळी
करण कलोळां केल, मोर जोर मेघां जुड़ण॥14
पाखां मिमता प्यार, मोवण धिणमाथै धरी
सीसां मुकट सँवार, मोरां माण वधार मन॥15
दे पांख्यां रो दान, मान वधावण वधमणो
धण रो राखै ध्यान, मोर नाच कान्हड़ कळा॥16
थां पूंजी रा थाट, झाड़ा फूंकां मोरझड़
वडै मोरछळ बाँट, पाँखां लाखां पंखियाँ॥17
वर पाँखां री वाय, बानक घरां वणै घणा
ऊमस मसक उडाय, बख मोरां पख बींजणा॥18
रोवण थारै रोज, पग करूपता पाप कुळ
चँदवै चुळबुळ चोज, पाँखां केकी पळकणी॥19
पांखां खोसण पाप, धाप हाफेही मरधरा
तो पग तरसां ताप, कान मोर ओखद करण॥20
लाग भोगवै लोग, कानां भारी पीड़ कुळ
जद फट पड़दां जोग, ओखद पंजां मोरियै॥21
चिगथी माड़ी चीज, खोट खराबी खटकणी
पंजै छिटकी छीज, गुण करणी मोरां कनै॥22
डुलग्या वन में डोल, चूंधी पैंडे वग चढ़ण
गाँव वडै गुण बोल, क:को! क:को मोर रव॥23
खोज पतंगा खाय, दाय खेत उपकार दट
किरपा मोर कराय, कीट पजोख किसाणपण॥24
पापी कोझा पाव, अघ बोझा बाठां अळ्या
मोर घणेरा घाव, मीठां बोलां बिच लुकै॥25
गिर मोरां गरकाब, माँझी जंगळ मोवणा
ओपै थारी आब, हरियाळी बोलण हँसै॥26
नैड़ी मैना नांय, सूवा आमां सिर उडै
खेजड़लां फळ खाय, किलको मोर कलंगियां॥27
माथै मुकट मँडाय, आय गरड़ महिपत अवन
गाँवां दिसा गुँजाय, केकी खग मंडळ खमै॥28
भल वाहन भगवान, सरतज हर मिलणै सज्या
थुंकारै गळ थान, नंगै केकी नाग नग॥29
हर गळ मानो हार, गरड़ समझ गुण विसन कै:
फबतै थान फुँकार, रीस मार, मत रूस खग॥30
नंदण वन में नाच, नंद भोम नंदित करण
मधुर मुरळियां माच, व्रज मोरां लोरां वसण॥31
धोरां ताती धूप, सावण मोरां सुलख मुड़
सिरी किसन स्वरूप, लाभ लोयणा लील गळ॥32
अद मरुधर ओपै, मोरां बोलां मानखो
सोवणद्यो सोपै, सोवां कोसां घमक सुण॥33
उबकै आधी रात, गजब गाज सोपै
बीं सांचेली बात, मीठा लागै मोरिया॥34
रूळो मिनखां रोग, केकी कुरळावै कुढै
जाणा इसड़ा जोग, नीन्द ऊचटै नेम री॥35
कूड़ नहीं है कूड़ मो’रां मगरां मोरिया
धूड़ माजनै धूड़, ‘नाचण’ आगैं नाचणा॥36
फूटरमल सिरदार, बीजो थां बिन ना मिलै
मोरां रंग अपार, तिल भर दान दरावज्यो॥37