जद सूं

ऊग्यो है

म्हारै मांय

थारै नांव रो

सूरज,

अंधारो डरपै

म्हारी

सूरत सूं

ओपरी

छियां दांई

अर

म्हारी जिंदगी रो

मून अंधारो

खिलखिलावण लाग्यो है!

स्रोत
  • सिरजक : रवि पुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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