टेल एण्ड पर हो गांवड़ियो, धणी कोई धोरी।

पाणी बिजळी री ही किल्लत, जिनगाणीं ही दोरी॥

माड़ो हाल बांरो।

आधो गांव कुंवारो॥

इस्यै खाडै खोबचै में कुण परणावै छोरी॥

बिना घूंस लैसंस बणवास्यूं कैयो मूंछा नै फड़का।

डीटीओ दफ्तर में जा करबा लाग्यो खड़का॥

किलरक ताबै कोनी आयो।

लाइसेंस कोनी नवड़ायो।

छै: म्हीना होग्या 'बनवारी' अजै मारै गड़का॥

टूरिस्टां नै गाइड बतायो, 'न्याग्रा फाल' रो राज।

सूपर सोनिक स्यूं भी है भयंकर दूरी गाज॥

पछै बो हिमळाई सूं।

बोल्यो लोग लुगाई सूं॥

भैणां जे चुप हो ज्यावै तो, सुणल्यां आवाज॥

फूटरी ही काया, बेमाता फुरसत सूं घड़या।

निरखण चै'रो सीसै सामै घण्टां रैंता खड्या॥

जुवानी जद जावण लागी।

तालरी लजावण लागी॥

अब काच में देखै, कता रैया अर कता झड़्या॥

बाबाजी एक आया, दीन्या प्रबचन धुआंधार।

असर हुयो लोगां पर छोड्यो दुराचार व्याभिचार॥

वकील अर पुलिसिया सै।

करै फिकर आपस में के॥

मोडियो कद छोड़सी ईं कस्बै री लार॥

मण्डी मैं दलाली करतो, अनाज री 'सोभाग’।

परखी रा बचरका देवै, बोर् ‌यां में बेथाग॥

गंऊं चांवळ री बांधै पोट।

बड़-बड़ चाबै बाजर मोठ॥

गैस बणतांई नीचै सूं बो, काढै सोरठ राग॥

नाम हो 'छगन सिंग' बीं'रो गाम हो 'तिड़ोकी'।

सै’र आयो, हाजत होगी, जागो चावै दोकी॥

ऊंचो नीचो होवण लाग्यो।

ठाई जाग्यां जोवण लाग्यो॥

भरी धोतड़ी दीसी जणा, सामै पुलिस चोकी॥

नाजम बण 'टण्डन जी' आया ओनेस्टी सूं रेवै।

जायज तुरत निकाळै, नाजायज कागज धर लेवै॥

पेसकार बापड़ो।

केवण लाग्यो आगड़ो॥

अड़वो सो उभ्यो दुस्मीं, खावै खावण देवै॥

देख सांप नै उ'डर कागो पूग्यो बीरै सामै।

पूछ्यो कांई होग्यो आ'लै कम दी'सो बिलां में॥

सरप उसांस'र बोल्यो सुण।

म्हानै लाडी पूछै कुण॥

रैबा लाग्या मिनख’ई, सांप बण'र आस्तीनां मैं।

ब्यूटी पारलर सूं आंतां बन्नी होगी लेट।

ढोल रै ढमाकै बन्नो आय पूग्यो ठेट॥

कपासिया बगावण खातर।

बरमाळा करावण खातर॥

काढ घूंघटो काकी बीं’री बणगी डुप्लीकेट॥

चुणावां री तारीखड़ी जद साव नेड़ी आगी।

मसाणां कबरिस्तानां में खड़बड़ होवण लागी॥

जाणणो जद चायो।

काकै भेद बतायो॥

लारैसी चलग्या हा जका नेता है अै सागी॥

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : गनपत प्रकाश माथुर ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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