बापू रै अंगूठै माथै
स्यायी रो निसांण
ओज्यूं तांई
याद आवै मन्नै
बापू-मां अर म्हैं
अबै इण घर रा
धणी नीं रैया
ब्याज पड़ ब्याज
रै चुकावणै
अर बेगार करतां थकां भी
म्है घर रो धिणांप
नी रखा सक्या
रात री नींद
नींद माय सुपनो
पइयै लागड़ै साम्ही
पसरग्यो हूं मैं
कै घर म्हारी लास रै
ऊपरां सूं जावेलो
डाफा चूक मां
नींद सूं जगायो मन्नै
आंख्यां धुवाई
पाणी प्यायो
थ्यावस बंधाई
अर बोली
सोज्या बेटा
छाती माथै
हाथ आयग्यो
हुवैला।