बैठ

बात करां

आंतरौ भानां

नेड़ै आवां

जुगां रौ

उळझ्योड़ौ सूत

सुळझावां

तीर तो

घणां छूट्या

कमाण सूं

इत्ता कै

इब तो

लोही ईज

रैयग्यौ आण सूं

आ.., बात नै सांधां

अेक दूजै रै

पाटा बांधां

पीड़ हरां

बैठ

बात करां।

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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