स्याणं रूगटाळा जद बणग्या

भाव बजारां म्हारा घटग्या

देखो के होई यारो

न्याव—निवारण जाबक गिटग्या

म्हैं बोल्यो, म्हैं निरदोखी हूं

सैंदा—मैंदा सगळा नटग्या

अणमैदा म्हैं काढ्या न्होरा

म्हाटा अठी—बठीनै बड़ग्या

बळती मांयीं गेर'र पूळा

घर भूतां रो बासो करग्या

राम चांच दी, चुग्यो देसी

साधां संतां साची कथग्या

मतदाता नै के सूझी

कुरसी पै क्यूं बिच्छू धरग्या

भूखा—तिरसा हा बिचारा

चारो खुल्लै—खाकै चरग्या

राज करै इब पोपांबाई

खुर—खूंसड़ा सर पै चढग्या

मूंछां पै भाटा साम्है हा

फन्नै खां रा पोत उघड़ग्या

करम रूसायौ, जणां ग्वाळिया

जाय श्याम रै पगां पसरग्या।

स्रोत
  • पोथी : ठा नीं सा ,
  • सिरजक : श्याम गोइन्का ,
  • संपादक : श्याम गोइन्का ,
  • प्रकाशक : कमला गोइन्का फाउण्डेशन, मुम्बई
जुड़्योड़ा विसै