पूणी बरगा

बादळां री,

धोळी धप

छतरी मांय,

सींक जीतै सै

मोरै मांखर,

दिसतो आभो

हरमेस

लीलो ही हुवै।

बादळां में नीं हुवै

इती त्यागत

जिको,

आभै

धोळफूलीयो

बणा सकै

स्रोत
  • सिरजक : सपना वर्मा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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