पोथी बांच रयो मूरख पंडत
लूल्या सुपनां हाळो मोची छै
जंग लग्या लोह्या सो खिर रयो लुहार
खत्या काठ सो दीमक लाग्यो खाती छै
ढसता मकान सो होग्यो कारीगर
बाण्यो बैठ्यो छै रीता ढूमला ले’र
बिना बिक्या सामान सरीखा भला मनख
सब कुछ जाणै एक दुकान सो
च्यारूंमेर बजार छै।