मेदपाट पावन धरा

चौड़ै चौगान बेदी ज्यूं मंड्योड़ी

जिण पर

लांबी-लांबी पड़ै ज्यूं कुर्‌योड़ी

जूनी नगरी

तिण में

गढांज गढ सिरमोड़

काळ पहरी

जग चावौ

चित्त हरणूं चित्तौड़

विजय थंभ

धरती रो थंभ।

जस जायो अड़ियौ आकासां

तो

बिरंची के बिरलै सांचै ढळीज

बप्पा, गोरा, बादळ

हमीर, कुभा, सांगा

पत्ता, कल्ला, जयमल जैड़ा

सुभड़, नरपतियां नरपति, जसधारी

रमिया रतनगरभा इण आंगणै

जिण नै सिंवरतां आगूंच

सीस नम जाय

इण जनम भोम आजादी कारणै

बे भरतपूत

पीढी सूं पीढी

कट-कट कटीजता

रणताल रंगता रिया

कबंध सूं कबंध भिड़

भोमियां भू बिछता रिया

वे सगति पूत

ज्यूं भायौ

त्यूं भरता रिया

अरियां रगत काळी खप्परां

तुलजा तुष्ट हूती रेयी

भारत मा थारे केसर्‌यां चीर

चितौड़ी च्यार तारां री

भळकण जग न्यारी

पदमा पदमणी

भगतां सिरैज मेड़तणी

करमावती केसरी जोड़

हीरा ज्यूं पन्ना पळकती

दीठी ज्यूं पन्ना पळकती

दीठी नं दूजी ठोड़

तिण मांही

तिजोड़ै जौहर जिग री

सैं पेली सुवासित समिधा

गैंदा फूल सी फूलकंवर

सोवे, ज्यूं तारां मिज गैगट छावड़ौ

माटी मूंगा मोल

सोंधी सुवास री

तो

जौहर कुंड दीसै घणी

हंसती-खिलती पदमणियां

पोयण फूल सरोवरां

उण ऋण त्रण जौहर-साकां री

लपलपाती लपटां रौ कसुमली उजास

जग किण बिध बीसरै

उण लपटां रै तेज, उजास

आखै हिंदवाण

तिरिया तेल चढ़तौ

मान उजळतौ रियौ

गढ हेठै

मंथर-मंथर बैती निरझरणी

पुरातन यादां गमगीन गंभीरी सारै-सारै

पसर्‌योड़ी नागरबेल ज्यूं

नूंवोड़ी नगरी

ऊंचा-ऊंचा म्हेलां-मुंडेरा, कोट-कांगरां

चित्तारै डौडा मीठा डोड

कद बावड़सी

म्हारा जुगां बिछुट्या

जग वल्लभा, मालव धरा धणी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी काव्य संग्रह (कक्षा-12) ,
  • सिरजक : गोविन्दसिंह राठौड़
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