है घणों अलाम बगत नानी।

स्वारथ सूं प्रीत फगत नानी॥

इब कठै मिनख में मिनखपणों।

धोळ-धप्प हुयो रगत नानी॥

सेवा तो पड़गी चूल्है में।

छळ-कपट भर्‌यो घट घट नानी॥

नित हुवै धमाका ठौड़ ठौड़।

होसी जग री के गत नानी॥

रिस्ता डगमग आंख्यां डब डब।

घर-घर री कथा दुखद नानी॥

उपकार करण वाळां नैं भी।

समझै संसार गळत नानी॥

दुनियादारी दुस्मण हुयगी।

बचणी मुस्कल इज्जत नानी॥

धन दौलत रै दलदल डुब्यो।

भूमण्डल रो जनमत नानी॥

हळका बोलण में पटु नेता।

है भला मिनख आहत नानी॥

आछा दिन आया गया हुया।

के चरचा उण बाबत नानी॥

मुद्दा भूल्या सुख में डूब्या।

पड़गी सत्ता री लत नानी॥

सद सासन री कोरी बातां।

बढती जावै दुरगत नानी॥

कैवण लाग्या है लोग अबै।

कीं ठीक ही हुंतो विगत नानी॥

आं मिनखां रै कारण है।

आहत आखी कुदरत नानी॥

'शंकर' री बात सुणै कुण है।

उलटो है आज जगत नानी॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : शंकरलाल स्वामी ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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