रेत मांय
न्हांवती चिड़कली
आभै सूं बिरखा
रौ संदेसौ के’वै
चिड़कली रौ
गाछ माथै गावणौ
झांझरकै जागणौ
जियां अंधारै रौ भागणौ
दिठाव करावै कै,
गावणौ अर जागणौ ई
नीं है औ संसार,
गीत नै समझणौ
अर गावणौ दोनूं ई
इण संसार री दरकार
रैयी है लगौलग।
पींजरै मांय गावणौ
अर बादळां मांय सुणावणौ
न्यारी न्यारी बातां है
अेक मांय गुलामी तौ
दूजै मांय
आजादी रौ
दीठाव करावै
चिड़कली।