अेक डाळी सूं

दूजी डाळी

भच्च कूदै चिड़कली

पकडै अर मारै फिड़कली।

आभै उडै

उतरै

काची डाळी

डरै नीं

डाळी रै तूटण सूं

उणनैं रैवै

पूरो विस्वास

आपरी आंख माथै

पांख माथै।

उडणो सिखावै मां

आंख-पांख

देन विधना री

पण

हूंस पाळै

खुद चिड़कली

उडै खुद, मारै फिड़कली

हूंस पाण उडै चिड़कली!

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : अंकिता पुरोहित ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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