सुण पेपला!
थारा ई बापू रोपता हा
होळी रौ प्रहलाद,
आपां नीं जांणै हा
हरिण्यकश्यप नांव रे दैत्य नै
नीं ई किणी
नृसिंह भगवान नै,
पेपला!
आपणै सारू तौ
वै उच्छब रमता सोनल दिन हा,
चांद रै चांनणै मांय
लूर घालती छोरियां
गांव रै गवाड़ मांय
बाजतौ डफ
काढीजती राग
तद आपां ई
वीरै सागै बैवण लागता,
झींडियै रै खेल मांय
नाचता नौ-नौ ताळ,
अर आ ई क्यूं
जद गांव रै अधखड़ रौ हुवतौ ब्याव
तद हांस-हांसनै
हुय जावता आपां दोलड़ा,
होळी मंगळावती बगत
लीरीजता सूण
जिण सरै कांनी लुळी झळ
वीं सरै ई हुयसी जमानौ,
बळती होळी मांय सूं
प्रहळाद नै खींचने
भाजता कुवै कांनी
कंवारा जवांन
बेगी-सी ब्याव हुवण री
आस मांय,
सुण पेपला!
आपां ओळखण लागग्या हा
होळी, प्रहलाद
हरिण्यकश्यप
नृसिंह भगवान नै,
अर आ ई जांणग्या हा कै
बुराई नै मरणौ ई पड़े छेकड़
हुवै सगळां रौ ई कुणई
खेतरपाळ,
थूं ब्याव री आस मांय
आयी होळी
लेयनै भाजतौ
प्रहळाद,
आस रै टीपतै
हरेक बरस सागै
टूटती रैयी चावना,
पछै तौ
गांव रै सैं सूं जोरावर डील नै
पीढ़ियां रौ करज अर
जाटां रा खेत खायग्या,
गरीबी अर भूख
बापू नै खायग्यी,
अबै प्रहळाद री जिग्यां धूं
खुद नै रोपै,
ओळख लीन्ही है
हरिण्यकश्यप री
मक्कारी अर चालाकी नै,
जांणे थूं
थन्नै हर हाल मांय बळणौ है
तिल-तिल रोजीनै मरणौ है,
धन्नै बचावणौ अबै
नीं आयसी कुणई
नृसिंह भगवान,
थूं जांगण लागग्यौ है
कै हरिण्यकश्यप ई साच है
वीरे कन्नै ई
बळ है,
नृसिंह भगवान तौ
जथाथितिवाद रौ
सैं सूं बडौ
छळ है।