गरम्यां में चालती

ताती लू

म्हानै आज

इत्ती खारी लागी

जाणै काढ लेसी

म्हारो राम

कर देसी

म्हानै अचेत।

म्हानै पण

अचेत कियां कर सकै

कदै सुण्यो है थे

एक सचेत आदमी नै

होंवतो अचेतन

म्है तो सावचेत हूं

बावळी है लू!

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : अजय कुमार सोनी
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