हामरी ने आवै मजो
काने रस घूरै ताजो
हूणीने बीजा ने कैवी
घणी गमें चाडिये।
जेठणी कै देरणी ने
देरणी कै जेठणी ने
मजा लऐं पडौसी भी
केवी लडें लाड़िये।
साडिये जे करै एने,
छेटी राखो घौर थकी
चारै लागो वैसावेगा
लीलीछम वाडिये।
लाकडँ लड़ावै घणां
लाय लागे जीवणी में
हुते-बैठे वौरवी न्हें
हूरँ वारी झाड़िये।