निमळाई नै दीठी ओझल कर

आबो तेरवाजां

आपणौ बडमाणसपणो आंकां

चांद रै उजाळै में

लिड़्यां चेपां

अहिल्या तो अबोली रैसो

उणरै पाप रा आखर बांचां

बोल बाला काळै पड़दै माथै

मंड्योड़ा हरफ

सांवट लेवां

अर, पड़दै माथै ओजूं

पोत देवां काळमस

फैरुं हेंस लेवां

अपूठो मुंहडो फोर

अेक खईसी (दानवी) हेंसी

पोमावां-मोदीजां

हाथ री चतराई माथै

कै कितरी सफाई सूं

घोळा-घोळा हरफ भजाण दिया

पण नीं

कद तांई लुकोला

चातरिक बणनै कूड़ाँ थे

ऊग रैया है

हंसिया खेत-खेत में

बाढ़ैला भोड खईशां रा।

स्रोत
  • पोथी : सवाल ,
  • सिरजक : चेतन स्वामी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ, जयपुर ,
  • संस्करण : 1
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