भरी छाबड़ी

कूकड़ल्यां री

माळ फिरै

जतै गरणावै

टूट्यो तार

बड़कग्यो ताकू

अब थांको

हरजस

कुण गावै!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : शारदा कृष्ण ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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