म्हूँ जद बी चंबल किनारे जाऊँ छूँ
चंबल नै नं देखूँ
देखूँ छूँ ऊ का किनारा नै
एक अजीब सो सन्नाटो रहै छै ऊ का किनारा पै
यो सन्नाटो वस्यो ही छै
जस्याँ कोई सोया हुया आदमी को गळो घोटता टेम
रहै छै सन्नाटो ऊ कै छटपटाबा को पूरा कमरा में
चंबल छटपटावै छै अर फेंकै छै टाँगाँ रात भर
ऊ की साँस में भर जावै छै
मर्या पड्या सड़ता मिनखाँ कै डीलाँ की बास
अर किनारे ऊभी दैत्याकार चिमन्याँ सूँ खड़बा वाळी धस
ऊ का कान फाटै छै
बंदूकाँ की गूँज सूँ अर मसीना का घरनाटा सूँ
पण वा कोईनै नं क्हवै आपणो दुःख
बस आपणा दुःख नै लै’र काटती रहै छै
किनारा पै ऊभा सख़्त पहाड़ाँ का तळा
वा समाती जावै छै चुपचाप
धरती का डील में भीतर घणी भीतर
म्हारा खून में कदी आईरन की कमी नं होवै
म्हारा खून में चंबल बहै छै
म्हनै थाँ करतो ही ठोको
करतो ही तपाओ म्हूँ उफ़्फ़ नं करूँ
चंबल को पाणी पी’र कतना ई मिनख
गारा सूँ तलवार बणग्या या बणग्या बन्दूक
चंबल कै किनारे कैई तलवाराँ पड़ी छै
कैई बन्दूकाँ पड़ी छै
चंबल कदी नं सोवै
ऊ नै श्राप छै जागबा को
अर देखबा को आपणा किनारा
साँची बात तो या छै कै चंबल कदी नं बोलै
ऊ का किनारा ही मचाता रह्वै कोहराम।