है छोटी-सी कुटिया
नीं परिवार है
खेती नीं, धन नीं
नीं कीं ब्यौपार है,
नीं बासण, नीं गाभा
नीं बिछावणा त्यार है
दोय जूंण री रोटी
जांणे तीज-त्यूंहार है,
वौ थारा सूंपेड़ा
घाव ढोवै है
वौ आदमी री औलाद है
आ सोचनै रोवै है,
पांती वीरै
फगत सूनाड़
अर अंधेरै री पाळी है
वौ रात रौ मुसाफर है
नीं उम्मेद है
नीं दिन-उगाळी है,
वींने आखी जूंण
इयां ई मरणौ है
तन अर मन सूं
गाय, गोमूत, गोबर
पूजीजता हुय सकै,
पण नीच जात
वीरे लेखै लात
फगत लात।
लगौलग झूरणौ है,
वौ थारी थरपेड़ी
जूंण जीवै
वौ दरद रा आंसू
रोजीनै पीवै।
वौ थारौ ई मारेड़ौ है
दुखियारौ, बेजार है,
वौ छोटै सै गांव रौ
अेक गिणतबायरौ
चमार है।