जद बै

म्हारी मां नै मेहतराणी-सा

कैंवतां तो म्हनै गरब मेसूस होंवतों

पण सागै अेक हुकम बी होंवतों कै-

'फलाणी चीज नै भींटाय मत दीज्यौ'

जद बै

म्हारै बापू नै 'राजाजी' कैंवतां तो

म्हनै गरब मेसूस होंवतों

पण सागै एक हुकम बी होंवतों कै-

'फलाणी चीज नै भींटाय मत दीज्यौ'

केई घरां में म्हारी मां नै

'बाईजी, भाभी-सा,काकी-सा, बडिया-सा'

कैंवतां तो म्हनै गरब मेसूस होंवतों

पण सागै एक हुकम बी होंवतों कै-

'फलाणी चीज नै भींटाय मत दीज्यौ'

कठै-कठै ‌म्हारै बापू नै

'भाईजी, काका-सा, ताऊजी'

कैंवतां तो म्हनै गरब मेसूस होंवतों

पण सागै एक हुकम बी होंवतों कै-

'फलाणी चीज नै भींटाय मत दीज्यौ'

इस्या मीठा बोलां सूं राजी होय

म्हारी मां झाड़ू सूं रगड़-रगड़'र

बां रै चौक नै चमका देंवती

रगड़-रगड़'र बां रै पाख़ाने नै

सैमूदों ही साफ कर देंवती

बापू बी दूणै जोस स्यूं

बां री कच्चोड़ी कुई नै खाली कर देंवतो

बदळै में फगत दो रोट्यां रो जूंठौं खा लेंवतो

जद-जद बी

अै-सीन म्हारी आंख्या रै सामी आवै

तो घिण होवैं, म्हनै मीठा बोला स्यूं

तो घिण होवैं म्हनै अैड़ी‌ अपणायत स्यूं

तद म्हनै लागै कै

'सैत जैड़ा बोल बी किता जैरीला होवै'

या कैउं कै -'जैर बी कितो मीठो होवै।'

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्याम निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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