सूगलवाड़ै री बैरण

घर-गवाड़-दफतर

अर सड़क री

गंदगी बुहारती

बुहारी म्हारी।

भाखफाटै धूड़ उडावती

सरसराट करती

लुगायां रो हथियार

सफाई री ओळख करावती

बुहारी म्हारी।

राजनीति रै अंधार पख नै

झाड़ती-बुहारती

सरसराट रा गीत गावती

बुहारी म्हारी।

दिल्ली री सड़कां माथै नाचती

राजनीति री तिबारी नै बुहारती

बुहारी म्हारी।

स्रोत
  • पोथी : कीं तो बोल ,
  • सिरजक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्र भाषा प्रचार समिति श्री डूंगरगढ़