लिखूं सबद—

झांझरको

बापर जावै उजास।

करूं जतन

हमेस सारू

अंवेर लूं

सबदां मांय इणनै।

कै—

चणाचक

खितितळ बिसूंजै सूरज

बगत रचै सबद

सिंझ्या।

स्रोत
  • पोथी : दीठ रै पार ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन