अेक अदीठ प्रीत रै बेबलां लारै
लुक्योड़ौ इज रह्यौ हरमेस म्हैं।
अरे, बावळी दीठ वाळां!
यूं घड़ी-घड़ी कांई निरखौ म्हनैं
म्हैं कोई कविता थोड़ी हूं
कै अरथ काढ लेवैला।
थे जागौ ई कोनीं
थांरै अरथावण री बगत
म्हैं लय में छूट जावूंला
बिरथा कळाप छोड़ौ
म्हैं थांरै हाथ नीं आवूंला।