दादी सा नाली में पटकी,

बापू दूर भगाई क्यूं?

रोज भुवासा ताना मारै,

इण पत्थर नै जाई क्यूं?

हियो पसीज्यो मायड़ रो बा

उठा काऴजै लाई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

दादी कदै मूंडै बोली,

बापू लाड लडाई ना।

बास गली रा लोगां नै भी,

फूटी आंख सुहाई ना।

सोचूं हूं अणहूंती जग री

ज़िया जूण मैं पाई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

पाँच बरस री ऊमर हुयगी

पढबा री ना बात हुई

बापू बोल्यो पढबा खातर

कद छोरी री जात हुई

काम सिखाओ घर को इन्नै

थोथी करो हताई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

दादीसा रै मांचो झिलग्यो

बापू झिलगी बीमारी

भूवासा सासरिये उठग्या

सुद बुद कुण लेवै म्हारी

हीड़ो करती माय एकली

घरां उदासी छाई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

मेल काळजै मोटो पत्थर

माय खाटबा जावै है

च्यार जणा री रोटी खातर

च्यार पैहर दुख पावै है

मनै भेज नानाणै बोली

करलै धीव पढाई तूं

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

पढ लिख नान्ही पास होयगी

लगी नौकरी सरकारी

बापूसा रो मांचो छुटग्यो

मां री छुटगी बैगारी

आज पड़ौसी सांमा आकर

देवै रोज बधाई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

बेटा पूत कपूत निवड़ज्या

तो कुणनै है दोष सुणो

बेटी जद मजबूत निकलज्या

सबनै है संतोष सुणो

है हीरा, पन्ना, इन्द्रा,

मीरां लक्ष्मी बाई ज्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

बच्चा बच्ची आपांरा

आपां सूं भी स्याणा है

संस्कार दोन्यां नै देकर

प्रतिभावान बणाणा है

बेटो बाती धीव रोशनी

गाँव गाँव समझाई तूं!

इसपताऴ री नरस बावऴी

साची बात बताई क्यूं?

बेटो बेटी फरक नहीं है

समझ समझ रो फेर अठै

मिनख जूण रा दांया बांया

है दोन्यूं पैर अठै

दोन्यां पैरां बिच में खोदी

आपां मोटी खाई क्यूं?

इसपताऴ री नरस बावऴी,

साची बात बताई क्यूं?

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : गौरीशंकर 'भावुक' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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