ज्यूं किणी निरतकी रै

नाच सूं इनकार करियां

कोई दुस्टी

कोईड़ां री मार सू मजबूर कर दें,

त्यूं पड़या जद

भूख रा सरड़ाट करता हाथ

तद व्हेयगी मजबूर

वै निलज्ज आंख्यां

अर तबलियै ज्यूं

भिखारी हाथ कूटण पेट लाग्या

देखणियां रै मांय सूं कोई राजी व्हेय

बंदगी में लीन हाथां मांय

धर दी डबल रोटी यूं

कोई राजी हुयोड़ौ बादसा जांणै

निरतकी रै हाथ

नवनख हार धर दें ज्यू!

चीं करती चील आई

डबल रोटी लैयगी

करगी वा भूख नै अधगावळी

अर किणी बावळ ज्यूं

आप इज हाथ सू आपरै इज देह माथै

कोईडां री मार करती

मौत मुंडे जाय पूगी भूख।

स्रोत
  • पोथी : झळ ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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