अंधारै नै भगावतो

चानणौ भरै साख

थारै होवण री

भोर रो उजास

लिखै कविता।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : राजेश व्यास ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ