काम करो,

भलांई ना करो

पण भूख ना मरो!

सरकार रो नैतिक

दायित्व है कै थांनै

भूख स्यूं नीं मरण द्यै...

बां भावूं थे लड़-झगड़'र

रोज मरो,

पण भूख ना मरो।

इण सारू

सरकार कनै

धपाऊ री योजनावां है!

अेक फूड स्टैम्प,

जिण में हाथो-हाथ

दस किलो कणक

जाय'र केवंता पाण

कै 'भूख मरस्यां!'

पटवारी का सरपंच

तोल देसी झट देणी...

अर केयसी-

'नीं-नीं भूख ना मरो,

काम करो,

भलांई ना करो...

पण भूख ना मरो।'

दूसरी योजना है सरकार कन्नै

'अन्नपूर्णा..!'

जिण मांय सगळै परिवार नै

देवै मुफ्त कणक

अर आई कैवै बात...

'भूख ना मरो!'

फेर अंत्योदय

जे कोई मुफ्त लेवणो

समझै अपमान

बींनै देवै दो रिपिया किलो गेहूं

घणैमान केवै-

'थे कीं करो, ना करो,

पण भूख ना मरो।'

बी.पी.एल. री

आजकालै घणी चल है

इण योजना मांय

कणक कीं मूंघी देवै

पण ओरां नांऊं सस्ती देवै,

अर ठरकै सूं कैवै-

'कीं करो, ना करो

पण भूख ना मरो।'

और घणाई पड़पंच रचै

घूघरी - बिना घी, गुड़ घाल'र

चीपड़ा दाणा खिंडावै टाबरा नै

गरीबी रो जबरो मजाक उडावै

कदै मिड-डे मील, कदै फेमिन

अकाल राहत कार्य चलावै!

पण...

रोजगार रा अवसर कोनी

अरे! के कम है

सरकार

आठ-दस रिपिया रै भाव री

मूंघै भाव री कणक

थांनै पुरसै अर केवै-

'कीं करो, ना करो

पण भूख ना मरो।'

भूख सूं मर्यां हेठी हुवै

विपक्ष मांय,

केन्दर मांय,

दुनियां मांय

अर किर-किर हुवै

नेतावां रै मजै मांय

अर बै झूंझळ खाय’र

फरमान जारी करै-

'अरे..! कीं करो, ना करो

पण भूख स्यूं ना मरो।'

जन कल्याणकारी सरकार

थारै प्रति संवेदनशील है!

भूख ना मरो, भूख ना मरो

ऊंट, गाडा, भेड, बकरी,

आटा चक्की आद

क्यांरै नांव

धपाऊ रो करजो करो

पण भूख स्यूं ना मरो

भूख स्यूं ना मरो..!

स्रोत
  • पोथी : बेटी ,
  • सिरजक : मनोजकुमार स्वामी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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