दूध बेचणवाळो

मिलावै दूध मांय पाणी

दूध देवै पाणी नैं

आपरो नांव

अर पाणी बाजै दूध

ढाबैवाळो

चढावै टोपियो भट्टी माथै

हेटै देवै आंच

बळन लागै पाणी

रीसां बळ्योड़ो दूध

बासती बुझावण खातर

चढ जावै टोपियै रै किनारां

पण देवतां छांटो

पाणी रो

मंगसी पड़ जावै रीस

दूध री

मिल’र भायलै सूं

करै किलोळां

खदबद-खदबद।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी 'दीपक' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै