सैं सूं हाथाजोड़ी छोड़।
अंवळा संवळा किन्हा काज
गूंजी सगळी जोड़ी छोड़।
गलपट्टां नै ढीला राख
बळद़्या तूं हींसोड़ी छोड़।
राम नाम रो चसको चाख
हरि घर जिग्यां थोड़ी छोड़।
'भावुक' कर परभू रो जाप
झुंठा जग री पौड़ी छोड़।