सासरै री कांकड़ मांय पग धरतां ईं

नवीं बीनणी का भाग री बातां चालगी

चोभींती हेली की साळां रा

ओडालेडड़ा कुवांडां रै ओलै बी

बींका चोखा-बुरा पगफेरारी

घणी'ईं चरचा चाली

आंडै-बांडै सगळा बतळाया

बिकी तगदीर का लिख्योड़ा लेखां नै

बाँचबां को जतन घर-बार, गाँव गुवाड़ का

सगळा 'ईं मिनख करियो

पण बातां तो हुई'ई कोनीं

बां गुण संस्कारां अर पोथी पानड़ां री

बीनणी री बी पढाई-लिखाई की

जिका गुणां नै हेरतां-हेरतां

सासरै आळा बीं का पीर का

फळसा ताणीं पूंच्या

अर बा बावळी बी दिन की कह्योड़ी

बातां नै सांची मान

ठाडा जतन सूं संभाळ'

सागै बांध ल्याई

नवां रिस्ता-नातां री समझ

पुराणी पोथ्यां एक कलम

अर थोड़ी सी स्याई।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : मोनिका शर्मा
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