दुनिया की गोळाई नापबा लेखै

घणो जरुरी छै

कै थां व्हां पूघो

ज्हां सूं थां चाल्या छा

हमेसा दो पग चालबा पाछै

म्हां पाछा व्हां नं पूघ पावां

ज्हां सूं म्हानै सरु कर्यो छो

गोळ चीजां की तीन गत्यां कै अलावा बी

गुजरती चोथी गति

म्हाको दुनिया कै गोळ होबा का

भरम सूं पाछो छुड़ावै छै

एक सरिका केई बरहमाण्ड की सोच

क्हूं की छै?

म्हूं एक झटका मं नट सकूं छूं

आपणा पाछा व्हां पूघबा नै

ज्हां म्हनै खुद कै तांई

गाढ मेल्यो छो

उड़बा मं म्हूं

बिस्बास नं रखाणूं

अर तरबो म्हारै लेखै

सपाट छै

बस चालबो

एक मात्र विकल्प छै

पण पूघबो!

म्हनै कदी नं लाग्यो

कै म्हूं

पूघ पावूंगू पाछो

जगैह

ज्हां सूं चाल्यो छो

एक दम

वस्यां ई।

स्रोत
  • सिरजक : किशन ‘प्रणय’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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