रुखाळो

आखी रात

अंधारै में बगतो

लाठी लियां धूजतो

खांसी सूं दुख पांवतो

रुखाळो

बेटरी सूं परकास करै

अर

सोयोड़ा मिनखां नैं सावचेत करै।

पण दस रिपिया धरमाऊ देवां

जणां

म्हारै घरां री रुखाळी करै

म्हानैं कांई डर है

सोच’र घर रा धणी

घोड़ा बेच’र सोवै।

सूरज रो परकास पंसरतांई सुणीजै-

रातनैं चोरी होयगी है

चोर रो अतो-पतो नहीं है।

रुखाळो खांसतो हाथ जोड्यां

थाणैदार रै सामै ऊभो है

थाणैदार री जबान

खाथी-खाथी चालण लाग रैयी है।

अंर हाथां मांय

गोळ-गोळ डंडो घूमण लाग रैयो है

भीड़ में सवाल तिर रैयो है-

दोस किणरो है?

स्रोत
  • पोथी : जोत अर उजास ,
  • सिरजक : रतन ‘राहगीर’ ,
  • प्रकाशक : युवा सिंधी विकास समिति
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