तूड़ीआळै कोठै री कूंट में

पड़्यो है हळ

बीजीयो ओढ़्यां...

जेई, चौसंगी, तरंगळी अर जिंदरो

खड़्या है मूं लटकायां!

पेटी-पटिया अर पलाण हुयग्या

टाबरां रा रमतिया...

छालै में घालनै

फटकेड़ो-सो डोकरो

सूत्यो है पुराणियै दरुजै

ढीली माचली माथै!

करतां करतां कार

पड़ी बगत री मार

चाणचकै बापड़ा

हुयग्या बेकार॥

स्रोत
  • सिरजक : जगदीश गिरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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