लोक लाज मुरजाद कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

चौक मांयलौ बरगद कटियौ, आंगणियै सूं नीम हट ग्यौ

पुरखां रौ पेरावौ बदळियौ, सोगरै रौ बण ग्यौ बटियौ

पणघट अर पोसाळ कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

गायां रौ गमसांण दिखै नीं, बळदां संग किसान दिखै नीं

अठै कायदा काण दिखै नीं, घूंघट चुड़लौ मान दिखै नीं

झांझर वाला पांव कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

रोटी पोवतां ताव आवै, भोजन रेडीमेड लावै

बाजरियै री राब नीं खावै, बाटी दाल क्यूं नीं भावै

फास्ट फूड में चाव कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

सेवा चाकरी करण वाळा, नैम धरम नै राखण वाळा

अपणायत नै मानन वाळा, सगळा साथ निभावण वाळा

प्रीत रीत रौ भाव कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

काका बाबा भाई बाई, घट्टी गम गी चक्की लाई

सोटी सूं कुण करै धुलाई, वासिंग मसीन घर घर आई

सरवर भरियौ घाट कठै है

पैली वाळौ गांव कठै है

स्रोत
  • सिरजक : छगनराज राव 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै