बात सांची है

पण कुण मांनै

जांण’र सब

आप-आपरी तांणै

समझदारी रौ सरटीफिकट

लटका’र फिरूं

कितरी दांण यूं जीवतौ मरूं

ऊपर सूं आदर्‌स यौ के मास्टर हौ

बिना मतलब कोई नीं गांठै

अफसर तौ कांईं

अंगूठा छाप पंच डांटै

आंधा कानून अर बौळा अफसर

पांगळी जनता अर गूंगा नौकर

थां बांच्यौ नीं बांच्यौ?

बरस विकलांग है

छपियौड़ौ

अखबारां रै पांनै पांनै

दफतर में फायलां फाटगी

रह्यां-सह्यां पानड़ा

उदायां चाटगी

बाबू बदळीज ग्या

साब री तरक्की व्हैगी

वकीलां रा घर बणग्या

म्हांरा खून-पसीनां सूं

कमायोड़ा पइस्या सूं

वणा रा टाबर भणग्या

कोरट रा कानून

नित नवा

तीन केस, तेरा गवा

सांचा रा झूंठा, अर झूंठा रा सांचा

सुण’र फैसलौ घर आया पाछा

नतीजौ निल

कोरट अर गवा रा खरचा रौ

तीन हजार तेरह रौ बिल

चोर बणाय साहूकार नै

चालान कीधौ थांणै

न्याती कीधौ थांणै

न्याती अर गोती

जिल्द चढ़्योड़ी पोथी

जाण्या हा आपणा

वै काटवा बैठा

ज्ञानी तिलचटा

ज्ञान चाटवा बैठा

वगारा प्रेमसागर रा

पाना फाटी ग्या

वांचै तौ कांईं

अर नाचै तौ कांईं

आंगणौ वांकौ

सांग नयौ है

राई रौ भाव रात्यूं ईं गयौ है

मन नै मारी बैठा हां

छांनै रा छांनै

बात सांची, पण कुण मांनै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : फतहलाल गूजर ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै