भायला
सबद तो तू बड़ा लूंठा
बोलै है,
विचारां सूं आपणै
सगळै जगत नै
तोलै है।
पर बिना क्रियान्विति रै
अै सबद अर विचार
सूखा ठूंठ सा लागै है,
करम रै बिना बावळा
कीं रो भाग जागै है।