चेतो चेतो सारा चेतो

मिनख-लुगायां सारा चेतो

हक-हिस्से रै खातिर चेतो॥

डायन बाको खोलै बैठी

सारां नै गटकावै हे

कदै के लागे मीठी-मिसरी

कदै सरपणी बण जावै है।

भोला-भाला लोग मुळक रा

अटकल नीं समझ पावै है

सगला सैणा-सूणां चेतो

टाबर अर बुढ़िया चेतो

हक-हिस्से रे खातर चेतो।

भूख इयेरी भीम सरीखी

तिस द्रोपदी-चीर-सी

मंतर-जंतर सारा सिध है

मिनख जूण में भूतणी-सी

इनै मूठ कियां कोई मारे

तरकीब सुझाओ

काम करणिया सारा चेतो

भणियां-गुणियां सारा चेतो।

घर री रोटी खुदरी टोपी

बिन लड़या कोनी मिलसी

हक-हिस्से रे खातिर भाई

गांव-गली लड़नो पड़सी

सारा एक सरीखां हुयो

भूत भागतो जासी।

असल बात लडयां सूं आसी

हीयां खोरों सारा चेतो

किरांती किरणिया सारा चेतो

चेतो-चेतो सारा चेतो

हक-हिस्से रे ख़ातिर चेतो।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत अक्टूबर 1981 ,
  • सिरजक : चन्द्रदान चारण ,
  • संपादक : चन्द्रदान चारण ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी, बीकानेर
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