जिको गुण भूलै

बो अधरबम में झूलै

आसीस बिना कोई

कदै फूलै-फळै

दै पांडिया आसीस!

हूं क्या दूं?

म्हारी आंतड़ी दै

दुरासीस हुओ

या आसीस

सै मांय री मांय है।

स्रोत
  • पोथी : हूं क तूं राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : नगेन्द्र नारायण किराडू ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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